प्रार्थनामें श्रद्धा-विश्वास
प्रार्थनामें श्रद्धा-विश्वास तो है ही,इनके बिना तो प्रार्थना होती ही नहीं,पर दो बातोंकी और आवश्यकता है-पहली इतना आर्तभाव,जो भगवान् को द्रवित कर दे और दूसरी, भगवान् की कृपालुतामें ऐसा परम विश्वास-कि प्रार्थना करनेमात्रकी देर है,प्रार्थना करते ही वह कृपालु माँ मुझे अपनी सुखद गोदमें ले ही लेगी।
If You Enjoyed This Post Please Take 5 Seconds To Share It.
0 comments :
Post a Comment