भगवान् के स्वभावको देखकर सदा समुल्लसित पूर्ण आशान्वित,प्रसन्न रहना चाहिये।चाह, रुचि,स्पृहा, इच्छा, सब उनकी इच्छा में समा जायें। उनके मनकी होते देखकर चित्त सदा आन्नद सागरकी लहरें बना रहे। यही उनके दुर्लभ प्रेमप्राप्ति का परम श्रेष्ठ उपाय है।
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