Tuesday, 18 October 2011

जयति जय श्री वृषभानु दुलारी ||

812
जयति जय श्री वृषभानु दुलारी ||
जयति कीर्तिदा जननी , जाई जिन गुण- खानि राधिका प्यारी |
जय वृषभानु महीप -मुकुट-मनि, जिन घर जन्मी जग- उजियारी ||
कृष्णा    कृष्ण-जीवना,  कृष्णाकर्षिनि कृष्ण-प्रान- आधारी ।
परम प्रेम प्रतिमा, परिपूरन प्रिय-सुख अति सुख माननिहारी ॥
प्रिय-सुख समैं परम चतुरा नित , निज सुख समैं सुभोरी - भारी।
प्रिय-सुख लागि बिसरि सब अग-जग, सहित समूद प्रसंसा - गारी॥
टेक-बिबेक एक  प्रियतम  सॊं,  सब  के  सब  संबंध   निवारी ।
भजत - भजत भजनीय  भई अब, तुम्हरॊ  भजन  करत, कंसारी॥
from - padratnakar
If You Enjoyed This Post Please Take 5 Seconds To Share It.

0 comments :

Ram