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जयति जय श्री वृषभानु दुलारी ||
जयति कीर्तिदा जननी , जाई जिन गुण- खानि राधिका प्यारी |
जय वृषभानु महीप -मुकुट-मनि, जिन घर जन्मी जग- उजियारी ||
कृष्णा कृष्ण-जीवना, कृष्णाकर्षिनि कृष्ण-प्रान- आधारी ।
परम प्रेम प्रतिमा, परिपूरन प्रिय-सुख अति सुख माननिहारी ॥
प्रिय-सुख समैं परम चतुरा नित , निज सुख समैं सुभोरी - भारी।
प्रिय-सुख लागि बिसरि सब अग-जग, सहित समूद प्रसंसा - गारी॥
टेक-बिबेक एक प्रियतम सॊं, सब के सब संबंध निवारी ।
भजत - भजत भजनीय भई अब, तुम्हरॊ भजन करत, कंसारी॥
जयति कीर्तिदा जननी , जाई जिन गुण- खानि राधिका प्यारी |
जय वृषभानु महीप -मुकुट-मनि, जिन घर जन्मी जग- उजियारी ||
कृष्णा कृष्ण-जीवना, कृष्णाकर्षिनि कृष्ण-प्रान- आधारी ।
परम प्रेम प्रतिमा, परिपूरन प्रिय-सुख अति सुख माननिहारी ॥
प्रिय-सुख समैं परम चतुरा नित , निज सुख समैं सुभोरी - भारी।
प्रिय-सुख लागि बिसरि सब अग-जग, सहित समूद प्रसंसा - गारी॥
टेक-बिबेक एक प्रियतम सॊं, सब के सब संबंध निवारी ।
भजत - भजत भजनीय भई अब, तुम्हरॊ भजन करत, कंसारी॥
from - padratnakar
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