Tuesday, 11 October 2011

Radha ke Vachan shri Krishan ke prati

तुमसे सदा लिया ही मैंने, लेती-लेती थकी नहीं।
अमित प्रेम-सौभाग्य मिला, पर मैं कुछ भी दे सकी नहीं॥
मेरी त्रुटि, मेरे दोषोंको तुमने देखा नहीं कभी।
दिया सदा, देते न थके तुम, दे डाला निज प्यार सभी॥
तब भी कहते-"दे न सका मैं तुमको कुछ भी, हे प्यारी !
तुम-सी शील-गुणवती तुम ही, मैं तुमपर हूँ बलिहारी"॥
क्या मैं कहूँ प्राणप्रियतमसे, देख लजाती अपनी ओर।
मेरी हर करनीमें ही तुम प्रेम देखते नन्दकिशोर !॥

If You Enjoyed This Post Please Take 5 Seconds To Share It.

0 comments :

Ram