१.ईश्वरके प्रभाव और महत्त्वको यथार्थ जानने वाले महापुरुषों का संग एवं उनके आदेशानुकूल आचरण ।
२.ईश्वरके प्रभाव और महत्त्व से पूर्ण शास्त्रों का अध्ययन ।
३.ईश्वरके नाम का जप और गुणों का श्रवण-कीर्तन ।
४.ईश्वर का ध्यान ।
५.विश्व रूप भगवान की निष्कामभाव से सेवा ।
६. ईश्वर-प्रार्थना।
७.ईश्वरके अनुकूल आचरण यानी सत्य, अहिंसा, दया, प्रेम, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, विनय, तप, स्वाध्याय, आस्तिकता और श्रद्धा आदि को बढ़ाना ।
८.लोक-परलोक के समस्त भोगोंमें वैराग्य ।
९.सद्गुरुमें परम श्रद्धा और गुरु सेवा ।
१०.ईश्वरमें अखण्ड विश्वास ।
११.घर-बाहर सर्वत्र ईश्वर चर्चा ।
१२.अभिमान, दम्भ, और कठोरता का सर्वथा त्याग ।
१३. काम, क्रोध, लोभ से बचना ।
१४.नास्तिक संग का सर्वथा त्याग ।
१५.परधर्म सहिष्णुता ।
१६. सबमें ईश्वर बुद्धि रखते हुए ही बर्ताव करने की चेष्ठा ।
२.ईश्वरके प्रभाव और महत्त्व से पूर्ण शास्त्रों का अध्ययन ।
३.ईश्वरके नाम का जप और गुणों का श्रवण-कीर्तन ।
४.ईश्वर का ध्यान ।
५.विश्व रूप भगवान की निष्कामभाव से सेवा ।
६. ईश्वर-प्रार्थना।
७.ईश्वरके अनुकूल आचरण यानी सत्य, अहिंसा, दया, प्रेम, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, विनय, तप, स्वाध्याय, आस्तिकता और श्रद्धा आदि को बढ़ाना ।
८.लोक-परलोक के समस्त भोगोंमें वैराग्य ।
९.सद्गुरुमें परम श्रद्धा और गुरु सेवा ।
१०.ईश्वरमें अखण्ड विश्वास ।
११.घर-बाहर सर्वत्र ईश्वर चर्चा ।
१२.अभिमान, दम्भ, और कठोरता का सर्वथा त्याग ।
१३. काम, क्रोध, लोभ से बचना ।
१४.नास्तिक संग का सर्वथा त्याग ।
१५.परधर्म सहिष्णुता ।
१६. सबमें ईश्वर बुद्धि रखते हुए ही बर्ताव करने की चेष्ठा ।
from- भगवच्चर्चा page- 261
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