ईश्वर सदा-सर्वदा तुम्हारे साथ है, इस बातको कभी न भूलो ! ईश्वरको साथ जाननेका भाव तुम्हें निर्भय और निष्पाप बनानेमें बड़ा मददगार होगा! यह कल्पना नहीं है, सचमुच ही ईश्वर सदा सबके साथ है!
ईश्वरके अस्तित्वपर विश्वास बढ़ाओ, जिस दिन ईश्वरकी सत्ताका पूर्ण निश्चय हो जायगा, उस दिन तुम पापरहित और ईश्वरके सम्मुख हुए बिना नहीं रह सकोगे !
अपनेको सदा बलवान् निरोग, शक्तिसम्पन्न और पवित्र बनाओ, ऐसा बनाने के लिये यह निश्चय करना होगा कि मैं वास्तवमें ऐसा ही हूँ! असलमें बात भी यही है! तुम शारीर नहीं,आत्मा हो! आत्मा सदा ही बलवान्, निरोग, शक्तिसम्पन्न और पवित्र है; देहको 'मैं' माननेसे ही निर्बलता, बीमारी, अशक्ति और अपवित्रता आती है !
देहको 'मैं' मानकर कभी अपनेको बलवान्, निरोग, शक्ति-सम्पन्न और पवित्र मत समझो, यों समझोगे तो झूठा अभिमान बढ़ेगा; क्योंकि देहमें ये गुण हैं ही नहीं!
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