Monday, 23 January 2012

वृन्दावनवास




मौनी एवं सोमवती अमावस्या, वि.सं.-२०६८, सोमवार


साधकका आदर्श त्यागी है, भोगी नहीं! इसीसे साधक भोगीद्वारा प्रलोभन दिये जानेपर भी भोगोंको स्वीकार नहीं करता!  

वृन्दावनवासका बड़ा माहात्म्य है, पर वृन्दावनमें केवल रहना वृन्दावनवास नहीं है; वृन्दावनवासका अर्थ है -- जीवनका श्रीकृष्णमय हो जाना! 

पर्देपर चित्रित गहनोंको देखकर उसके प्रति आसक्ति, प्रलोभन नहीं जागता! यह संसार, यहाँके भोग-पदार्थ पर्देपर गहने हैं -- यह प्रतीति हो जाय तो स्वाभाविक ही इनके प्रति आसक्ति -उपेक्षा हो जायगी! 

भगवान् पर  हमारा विश्वास दृढ़ हुआ कि नहीं, इसकी  कसौटी है -- भगवान् के प्रत्येक विधानमें मंगलबुद्धि हुई कि नहीं तथा दुःखमें भगवान् का संस्पर्श  अनुभव होता है कि नहीं! जबतक भगवान् के किसी भी विधानसे मनपर विषाद-चिन्ता आती है, तबतक यह स्पष्ट है कि हमारा भगवान् पर विश्वास दृढ़ नहीं  हुआ है! 

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Ram