संत वाणी
- सरीर न बुरा है, न अच्छा है, इसे जल्दी हरी भजन में लगाओ |
- एक श्री हरी की महिमा गया कर, मनुष्य के गीत न गाये |
- कथा कीर्तन करके जो द्रव्य देते या लेते है, वे दोनों हे भूले हुए है |
- जब तक जीवन है तब तक नाम स्मरण करे, गीता भागवत का सरवन करे और हरी मूर्ति का ध्यान करे |
- मुख में अखंड नारायण-नाम ही मुक्ति के उप्पर की भक्ति जानो |
- चौपड़ के खेल में गोटी को मारना और जीना जैसा है, ज्ञानी की दृष्टी में जीवो का बंध मोक्ष भी वैसा ही है |
- भगवान् कल्प वृक्ष है , चिंता मणि है | चित जो जो चिंतन करे उसी पूरा करने वाले है |
- एक शंन में पचासों जगह चक्कर लगा आने वाले इश मन को भगवान् दया करे तोह ही रोक सकते है |
- मन की एक बात बड़ी अच्छी है | जिस चीज का उसे चसक लगता है, उसमे वह लग जाता है , इसलिए इससे आत्मानुभव का सुख बराबर देते रहने चाहिए |
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