Sunday, 12 August 2012

सच्चे धनी बनो


दूसरों को चाहे जितना शान्ति का उपदेश दो, सुख-दुःख में सम रहकर आनन्द मग्न रहने की चाहे जितनी मीमांसा करो, जबतक तुम्हारा ह्रदय शांत नहीं है, जब तक ह्रदय आनन्दसे पूर्ण नहीं है, तबतक सब कुछ व्यर्थ है | धनि कहलानेसे तो बखेडा बढ़ता है | सच्चे धनि बनो, फिर चाहे कोई तुम्हें कंगाल ही क्यूँ ना समझे |

अपना काम बनाने में जल्दी करो, जीवन के दिन बहुत ही जल्दी जल्दी बीते जा रहे है | पर उपदेश में ही जीवन बिता दोगे तो ना तुम्हारा कल्याण होगा, और ना कोरे जबानी जमाखर्च से दूसरों के ही दुःख दूर होगा | पहले धनि बनो, फिर बांटों | बिना धनि हुए, क्या बांटोगे |

अपने ह्रदय को सदा पैनी नज़र से देखते रहो – क्योंकि जहां तुम्हारा मन है तुम वहीँ हो | मंदिर में रहो या वनमें, मन यदि कारखाने में या बाजार में है तो तुम भी वहीँ हो | जिसके मनमें भगवान् बस्ते हैं, वह भगवान् के मंदिर में है, जिसके मनमें विषय बस्ते हैं वह संसार में है |

जान-पहचान ज्यादा बढाने की कोशिश मत करो | चुपचाप भजन करते रहो | ख्याति से प्रपंच बढ़ेगा | परिवार बढ़ेगा, भजनमें बाधा आवेगी ! मान पूजा होने लगेगी और अगर उसे स्वीकार कर लिए तो पतन के लिए गड्ढा खुद ही गया समझो |

कम बोलो, कम सुनो, कम देखो, कम मिलो-जुलो, यह सब उतना ही करो जितना अत्यंत जरूरी है | एक पल भी बिना जरूरत इन कामों में मत लगाओ | शास्त्रार्थ ना करो, विवाद में मत पडो, किसीको हारने की नियत ना रखो | अपने काममें लगे रहो | अपना भजन-ध्यान-स्मरण ना छूटे |

साधन में संतोष ना करो, सदा आगे बढते ही रहो, देखते रहो आज कितना आगे बढे | रुको नहीं | पीछे फिरने की तो कल्पना भी कभी मनमें मत उठने दो | ऐसा प्रयत्न करो की क्षणभर भी भगवान् को ना भूले | वे वाणीमें, मनमें, नेत्रोंमें बसे ही रहे | और किसी बातमें भूल भले ही हो जाए, पर इसमें भूल ना होने पाए |

भगवान् पर विश्वास रखो | उनकी तुमपर बड़ी दया है, वे सदा ही तुम्हारे साथ हैं | उनका हाथ सदा तुम्हारे सिर पर है | तुम उनकी प्रत्यक्ष देख-रेख में हो | तुम ये विश्वास कभी मनसे हटने मत दो | फिर उनके कोमल करका स्पर्श पाकर कृतार्थ हो जाओगे |

भगवान् की पूजा के पुष्प  , हनुमानप्रसादपोद्दार , गीताप्रेस गोरखपुर, पुस्तक कोड ३५९ 
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Ram