Thursday 16 August 2012

प्रार्थना के कुछ अच्छे रूप या भाव ये हैं –



प्रार्थना के कुछ अच्छे रूप या भाव ये हैं
भगवन ! तुम्हारा मंगलमय संकल्प पूर्ण हो |

२ भगवन! तुम्हारी मंगलमयी चाह पूर्ण हो| मेरे मनमे कोई चाह उत्पन्न ही न हो, हो तो तुम्हारी चाह के अनुकूल हो| तुम्हारी चाह के अतिरिक्त और कोई चाह कभी उत्पन्न ही न हो | कदाचित तुम्हारी चाह के प्रतिकूल कोई चाह उत्पन्न हो तो उसे कभी पूरा न करना |

भगवन् ! समस्त चर-अचर प्राणियों में मैं सदा तुम्हारा दर्शन कर सकूँ और तुम्हारी दी हुयी प्रत्येक सामग्री से और शक्ति से यथासाध्य सबकी सेवा कर सकूँ |

 ४ भगवन् !अखिल विश्व ब्रह्माण्ड के मंगल में ही मुझे अपना मंगल दिखाई दे | मेरे मन में कोई भी इसी मंगल कामना न हो , जो किसी भी प्राणी के मंगल से विरुद्ध हो

भगवन् ! मेरा स्वअसीम रूप से अखिल विश्व में विस्तृत हो जाय | अखिल विश्व का 'स्वार्थ' ही मेरा 'स्वार्थ' हो | मेरा कोई भी स्वार्थ ऐसा न हो, जो अखिल विश्व के किसी भी प्राणी के स्वार्थका बाधक हो और साधक न हो

भगवन् ! मेरे जीवन का प्रत्येक श्वास तुम्हारी मंगलमयी स्मृति में सना रहे  और मेरी प्रत्येक चेष्ठा केवल तुम्हारी सेवाके लिए हो |

प्रार्थना {प्रार्थना-पीयूष} पुस्तक से  कोड- 368 श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार (शेष अगले ब्लॉग में )

If You Enjoyed This Post Please Take 5 Seconds To Share It.

0 comments :

Ram