Monday 6 August 2012

अपनेको भगवान् पर छोड़ दो



पद्धतियों के फेर में ना पड़कर अपनेको भगवान् पर छोड़ दो, रास्तों की छानबीन ना करो और ना किसी रास्ते की ख़ाक ही छानो; अगर तुम अपनेको सर्वथा निराधार मानकर उनपर छोड़ सके तो वे सर्वाधार ही तुम्हारे परमाधार बन जायेंगे | तुम्हारा हाथ पकड़कर, दिव्या प्रकाश की ज्योति दिखलाकर – अधिक क्या, गोद में उठाकर खिलाते-पिलाते और आनन्द देते ले चलेंगे |

पर जब तुम उनकी गोदमें आ गये, तब तुम्हें चलने की और कहीं पहुँचनेकी चिंता कैसी, तुम तो निहाल हो चुके उनकी गोद को पाकर | भगवान् की शरणागति यही है | जो भगवान् के शरण होकर उसका कोई दूसरा फल चाहता या समझता है, वह सब कुछ छोडकर भगवान् के आश्रय में आया ही नहीं |    

भगवान् की पूजा के पुष्प  , हनुमानप्रसादपोद्दार , गीताप्रेस गोरखपुर, पुस्तक कोड ३५९ 
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Ram