इस
भ्रममें मत रहो कि पाप प्रारब्धसे होते हैं, पाप होते हैं तुम्हारी आसक्तिसे और उनका फल
तुम्हें भोगना पड़ेगा !
परमात्मापर विश्वास न होनेसे ही विपत्तियोंका, विषयोंके नाशका और मृत्युका भय रहता है एवं तभीतक शोक और मोह रहते हैं ! जिनको उस भयहारी भगवान् में भरोसा है, वे शोकरहित, निर्मोह और नित्य निर्भय हो जाते हैं !
मान चाहनेवाले ही अपमानसे डरा करते हैं ! मानक बोझा मनसे उतरते ही मन हल्का और निडर बन जाता है !
शरीरका नाश होना मृत्यु नहीं है, मृत्यु है वास्तवमें पापोंकी वासना !
मृत्युको स्वाभाविक बनानेवाला ही सुखसे मर सकता है !
जो आत्माको अमर नहीं जानते वे ही मृत्युसे काँपा करते है !
किसीको गाली न दो, वृथा न बोलो, चुगली न करो, असत्य न बोलो, सदा कम बोलो और प्रत्येक शब्दको सावधानीसे उच्चारण करो !
दूसरोंकी त्रुटियों और कमजोरियोंको सहन करो, तुममें भी बहुत-सी त्रुटियाँ हैं,जिन्हें दुसरे सहते हैं !
परमात्मापर विश्वास न होनेसे ही विपत्तियोंका, विषयोंके नाशका और मृत्युका भय रहता है एवं तभीतक शोक और मोह रहते हैं ! जिनको उस भयहारी भगवान् में भरोसा है, वे शोकरहित, निर्मोह और नित्य निर्भय हो जाते हैं !
मान चाहनेवाले ही अपमानसे डरा करते हैं ! मानक बोझा मनसे उतरते ही मन हल्का और निडर बन जाता है !
शरीरका नाश होना मृत्यु नहीं है, मृत्यु है वास्तवमें पापोंकी वासना !
मृत्युको स्वाभाविक बनानेवाला ही सुखसे मर सकता है !
जो आत्माको अमर नहीं जानते वे ही मृत्युसे काँपा करते है !
किसीको गाली न दो, वृथा न बोलो, चुगली न करो, असत्य न बोलो, सदा कम बोलो और प्रत्येक शब्दको सावधानीसे उच्चारण करो !
दूसरोंकी त्रुटियों और कमजोरियोंको सहन करो, तुममें भी बहुत-सी त्रुटियाँ हैं,जिन्हें दुसरे सहते हैं !
किसीको पापी समझकर मनमें अभिमान न करो कि मैं पुण्यात्मा हूँ ! जीवनमें न मालूम कब कैसा कुअवसर आ जाय और तुम्हें भी उसीकी भाँती पाप करने पड़ें !
यदि बार-बार आत्मनिरीक्षण न कर सको -- तो कम-से-कम दिनमें दो बार सुभह और शाम अपना अन्तर अवश्य टटोल लिया करो ! तुम्हें पता लगेगा कि दिनभरमें तुम ईश्वरके और जीवोंके प्रति कितने अधिक अपराध करते हो !
लोग धनियोंके बाहरी ऐश्वर्यको देखकर समझते हैं कि ये बड़े सुखी हैं, हम भी ऐसे ही ऐश्वर्यवान् हों तब सुखी हों, पर वे भूलते हैं! जिन्होंने धनियोंका ह्रदय टटोला है, उन्हें पता है कि धनि दरिद्रोंकी अपेक्षा कम दु:खी नहीं हैं ! दुःख के कारण और रूप अवश्य ही भिन्न-भिन्न हैं !
धनकी इच्छा कभी न करो, इच्छा करो उस परमधन परमात्माकी, जो एक बार मिल जानेपर कभी जाता नहीं ! धनमें सुख नहीं है, क्योंकि धन तो आज है कल नहीं! सच्चा सुख परमात्मामें है-- जो सदा बना ही रहता है !
प्रतिदिन सुभह और शाम मन लगाकर भगवान् का स्मरण अवश्य किया करो, इससे चोबिसों घंटे शान्ति रहेगी और मन बुरे संस्कारोंसे बचेगा !
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