अवश्य ही वर्तमान समय में भी ऐसे बहुत-से सज्जन सभी क्षेत्रों में वर्तमान हैं , जो भारतीय संस्कृति के परमोज्जवल प्रकाशरूप हैं l पर ऐसे सज्जन न तो अपना विज्ञापन करते हैं, न वे यह चाहते ही हैं कि उन्हें लोग जानें-मानें l करोड़ों मानवों में, पता नहीं, कितने ऐसे होंगे, जिनके चरित्र अत्यन्त पवित्र और आदर्श हैं l जिन क्षेत्रों के लोगों के सम्बन्ध में आपने पूछा है, उन क्षेत्रों में भी ऐसे बहुत-से सजन्नों से मेरा काम पड़ा है और मैं उन्हें जानता हूँ , जो परम आदर्श चरित्र हैं l
साधुओं में मैं ऐसे महात्माओं को जानता हूँ, जो सचमुच बड़े विरक्त और परम त्यागी, सदाचारी हैं l उनमें कौन ब्रह्मनिष्ठ हैं - परमात्मा को प्राप्त हैं, यह तो मैं नहीं कह सकता, क्योंकि यह स्थिति तो स्वयं संवेद्य है l एक महात्मा को मैंने देखा है, जो बहुत बड़े दार्शनिक विद्वान हैं, पर जिनमें विद्या का जरा भी अभिमान नहीं और जिनका अत्यन्त त्यांगपूर्ण, विरक्त जीवन है l
धनियों में भी ऐसे बहुत-से हैं l एक ऐसे सज्जन हैं, जो अपने लिए कंजूस हैं और दूसरों के लिए बड़े उदार हैं, सदाचारी हैं, व्यसन रहित तथा अभिमान शून्य हैं l अत्यन्त साधारण रहन-सहन रखते हैं l विनम्र हैं, भगवद्भक्त हैं l एक दुसरे धनि सदाचारी महापुरुष हैं, जिन्होंने पैसा कमाया ही धर्म तथा जनता कि सेवा के लिए l वे उम्रभर सेवा ही करते रहे l
एक डिप्टी कलक्टर हैं, जो अनुचित अर्थ ग्रहण नहीं करते, अपने नियमित नौकरी के पैसों से परिवार-पालन करते हैं l एक दिन मैंने पूछा - उस दिन महीने के अन्त की तारीख थी l उन्होंने कहा - 'मेरे पास आज चार आने पैसे हैं l इस महीने के वेतन के पैसे मिलेंगे तो काम चलेगा l ' उनके पास केवल एक पोशाक है, जिसे वे जब बाहर जाते हैं तब पहन लेते हैं, बड़े मितव्ययी हैं और अपनी इस स्थिति में संतुष्ट हैं l
एक टेक्सटाइल विभाग के उच्च अधिकारी थे, अब उन्होंने अवकाश ग्रहण का लिया है l बड़े-बड़े प्रलोभन आने पर भी उन्होंने ऊपर का एक पैसा नहीं लिया, बड़ी सादगी से जीवन बिताया l साईकल से आफिस आते-जाते थे l आफिस के ऊपर-नीचे के अधिकारी उनसे उतने प्रसन्न नहीं रहते थे, क्योंकि वे उनको अपनी अनुचित आय में बाधक समझते थे l वे बड़े निर्मल-ह्रदय, विनम्र, सदाचारी तथा भक्त पुरुष हैं l
सुख-शान्ति का मार्ग[३३३]
साधुओं में मैं ऐसे महात्माओं को जानता हूँ, जो सचमुच बड़े विरक्त और परम त्यागी, सदाचारी हैं l उनमें कौन ब्रह्मनिष्ठ हैं - परमात्मा को प्राप्त हैं, यह तो मैं नहीं कह सकता, क्योंकि यह स्थिति तो स्वयं संवेद्य है l एक महात्मा को मैंने देखा है, जो बहुत बड़े दार्शनिक विद्वान हैं, पर जिनमें विद्या का जरा भी अभिमान नहीं और जिनका अत्यन्त त्यांगपूर्ण, विरक्त जीवन है l
धनियों में भी ऐसे बहुत-से हैं l एक ऐसे सज्जन हैं, जो अपने लिए कंजूस हैं और दूसरों के लिए बड़े उदार हैं, सदाचारी हैं, व्यसन रहित तथा अभिमान शून्य हैं l अत्यन्त साधारण रहन-सहन रखते हैं l विनम्र हैं, भगवद्भक्त हैं l एक दुसरे धनि सदाचारी महापुरुष हैं, जिन्होंने पैसा कमाया ही धर्म तथा जनता कि सेवा के लिए l वे उम्रभर सेवा ही करते रहे l
एक डिप्टी कलक्टर हैं, जो अनुचित अर्थ ग्रहण नहीं करते, अपने नियमित नौकरी के पैसों से परिवार-पालन करते हैं l एक दिन मैंने पूछा - उस दिन महीने के अन्त की तारीख थी l उन्होंने कहा - 'मेरे पास आज चार आने पैसे हैं l इस महीने के वेतन के पैसे मिलेंगे तो काम चलेगा l ' उनके पास केवल एक पोशाक है, जिसे वे जब बाहर जाते हैं तब पहन लेते हैं, बड़े मितव्ययी हैं और अपनी इस स्थिति में संतुष्ट हैं l
एक टेक्सटाइल विभाग के उच्च अधिकारी थे, अब उन्होंने अवकाश ग्रहण का लिया है l बड़े-बड़े प्रलोभन आने पर भी उन्होंने ऊपर का एक पैसा नहीं लिया, बड़ी सादगी से जीवन बिताया l साईकल से आफिस आते-जाते थे l आफिस के ऊपर-नीचे के अधिकारी उनसे उतने प्रसन्न नहीं रहते थे, क्योंकि वे उनको अपनी अनुचित आय में बाधक समझते थे l वे बड़े निर्मल-ह्रदय, विनम्र, सदाचारी तथा भक्त पुरुष हैं l
सुख-शान्ति का मार्ग[३३३]
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