Wednesday, 2 January 2013

दैवी विपत्तियाँ और उनसे बचने का उपाय -1


आज की शुभ तिथि – पंचांग

पौष कृष्ण ५, बुधवार, वि० स० २०६९

      समाचार पत्रों को देखने से पता लगता है कि इस समय प्राय: सभी देशो में दैवी विपत्ति आई हुई हैं | सर्वत्र नाना प्रकार के दैवी कष्ट आ रहे हैं | अकाल, बाढ़, तूफ़ान आदि न मालूम कितने उत्पात हो रहे है | भारत में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में, बम्बई में, सौराष्ट्र में अकाल पड़ा हुआ हैं |

      असम, बंगाल, बिहार, पंजाब, काश्मीर और राजपूताना में कई नयी-नयी बीमारियाँ फ़ैल रही है | इसके अतिरिक्त बिजली गिरना, नावे डूबना आदि छोटी-छोटी घटनाएँ तो प्राय: नित्य होती है | सारांश यह है कि चारो ओर प्राणी दुखी हो रहे है | यह सब क्या है और क्यों हो रहा है ? इसका यथार्थ उत्तर तो अंतर्जगत की स्थिति को जानने वाले कर्म रहस्य पुरुष ही दे सकते है, तथापि शास्त्र और संतो के अनुभव के आधार पर इतना ही कहा जा सकता है कि यह सब हमारे अपने ही दुष्कर्मो का फल है और हमें शुद्ध करने के लिए भगवान् की कृपा से प्राप्त हो रहा है |
   
    भगवत्कृपा का प्रकाश विविध रूप से हुआ करता है; कभी वह बड़े सौम्य स्वरुप में अपने दर्शन देती है तो कभी बड़े ही भीषण रूप में ! जो उसे पहचानता है वह उस भीषण मूर्ति के अंदर भी उसकी त्रिताप का नाश करने वाली शान्ति-सुधामयी छवि को देख पाता है, वह सभी अवस्थाओं में भगवान की कृपा का अनुभव करता है | प्रत्येक आघात में वह अपने एकमात्र प्रियतम का कोमल-कर स्पर्श पाकर पुलकित हो उठता है और अपने को परम सौभाग्यवान और सुखी समझता है; परन्तु जो नहीं पहचानते, वे रोते और दुखी होते है; परन्तु वे भी विपत्ति में सम्पत्ति पाते है, दुःख में भगवान को कही अधिक सच्चे हृदय से पुकारते है |

भगवच्चर्चा,हनुमानप्रसाद पोद्दार,गीताप्रेस,गोरखपुर,कोड ८२०

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Ram