|| श्री हरि: ||
आज की शुभ
तिथि – पंचांग
पौष शुक्ल,
अष्टमी, शनिवार, वि० स० २०६९
प्यास के मारे जिसके प्राण छटपटाते हों, वह जल को छोड़ कर
दूसरी और कैसे ताकेगा ? उसे जब तक जल नहीं मिल जायेगा, तब तक जगत की गप्पें कैसे
सुहायेंगी ! वह तो दौड़ेगा वहीं पर जहाँ
उसे जल दीखेगा | वह क्यों परवाह करेगा लोगो के जुबान की ? जिसके मन में जो आये सो
कहे, उसे तो अपने काम से काम | जो जगत की और ताकते है, उनकी बात सुनने और जबाब
देने के लिए ठहरते है, उन्हें पूरी प्यास नहीं होती, वे प्यास की अधिकता से
छटपटाने नहीं लगते | इसलिये उन्हें सुनना, ठहरना और जबाब देना सूझता है |
श्री
मन्न नारायण नारायण नारायण.. श्री मन्न नारायण नारायण नारायण... नारायण नारायण नारायण....
नित्यलीलालीन श्रद्धेय भाईजी श्रीहनुमानप्रसाद
पोद्धार,कल्याण अंक,वर्ष ८६,संख्या ३,पृष्ट-संख्या ५७६,गीताप्रेस, गोरखपुर
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