|| श्री हरि:
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आज की शुभ
तिथि – पंचांग
पौष शुक्ल, एकादशी
,मंगलवार, वि० स० २०६९
संत-वाणी
१. जहाँ ईश्वर की चर्चा होती है, वही
स्वर्ग हैं | जहाँ विषयों की चर्चा होती है वही नरक है |
२. ईश्वर की कृपा के बिना मनुष्य के
प्रयत्न से कुछ भी नहीं मिल सकता |
३. ईश्वर के गुणों को अपने में आरोप
करने वाला योगी अधम है |
४. संत वही है जिसे कोई भी विषय मलिन
नही कर पाता, बल्कि मलिनता भी उसे छूकर पवित्र हो जाती है |
५. या तो जैसे बाहर से दिखाते हो वैसे
ही भीतर से बनो, नहीं तो जैसे भीतर हो वैसे ही बाहर से दिखाओ |
६. मनुष्य ज्यों-ज्यों संसारी परदों से
ढकता जाता है, त्यों-ही-त्यों वह प्रभु की
पूजा और साधन छोड़ता जाता है |
७. अन्तकरण में एक भण्डार है, उस
भण्डार में एक रत्न है, वह रत्न है प्रभु-प्रेम इस रत्न को पाने वाला ही ऋषि है |
८. हे प्रभु ! तेरे सिवा मेरा कोई
नहीं, तू मेरा है तो फिर सब कुछ मेरा है |
९. त्याग तप है | त्याग के बिना न तेज
है, न संस्कार है , न शान्ति है , न प्रसन्नता है , न आनंद है और न मुक्ति ही है |
त्याग करो घर का नहीं, स्त्री-पुत्रो का नहीं , मन की विविध कामनाओ का, दुसरे को
सुख देने वाले स्वाभाव का, आलस्य का, अभिमान का, अशक्ति का, ममता का और अहंकार का
|
श्री
मन्न नारायण नारायण नारायण.. श्री मन्न नारायण नारायण नारायण... नारायण नारायण नारायण....
नित्यलीलालीन श्रद्धेय भाईजी श्रीहनुमानप्रसाद
पोद्धार,संत-वाणी, गीताप्रेस, गोरखपुर
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