Tuesday, 5 February 2013

सद्गुरु -11-



|| श्री हरि: ||
आज की शुभ तिथि – पंचांग
माघ कृष्ण,दशमी,मंगलवार, वि० स० २०६९

 उपयुक्त कसौटी में जो खरे उतरते है, वे ही पूर्ण ज्ञानी है या भक्त है, जो अधूरे है पर आगे बढ़ने का प्रयत्न कर रहे है और इन लक्षणों का अपने अन्दर बढ़ा रहे है, वे ही सच्चे साधक है | अन्यथा इस श्रुति के अनुसार अंधे गुरु,अन्धे चेलो की जमात को साथ लेकर पापो के गढ़े में गिरते है |
यदपि इन सारे लक्षणों से युक्त पुरुष का  मिलना परम दुर्लभ है और ऊपर के भावो से  किसी को पहचानना भी अत्यंत कठिन है, तथापि अपनी बुद्धि के अनुसार इतना ध्यान अवश्य रखना चाहिये कि जहाँ-मान बड़ाई  और कामिनी-कंचन का लोभ नहीं है, वहाँ रहने और वैसे पुरुष का उपदेश मानने में कोई आपति नहीं है | हर किसी को गुरु कभी नहीं बनाना चाहिये | गुरू को तो एक तरह से अपना जीवन समर्पण कर दिया जाता है |जीवन-अर्पण बहुत ही सोच-समझ  कर करना कर्तव्य है | नाम-मात्र के गुरु-चेलों से कोई लाभ नहीं, हानि तो प्रयत्क्ष ही है |
इस बात से निराश कभी नही होना चाहिये कि इस युग में सद्गुरु है की नहीं, सद्गुरु की वास्तविक खोज ही कहाँ होती है ? हमारे हृदय में तीव्रतम पिपासा ही कहाँ है ? तीव्र पिपासा हो तो लेखक का विश्वास है कि प्यास बुझाने वाले अमृत-समुद्र सद्गुरु की प्राप्ति अवश्य ही हो सकती है |     
 नारायण नारायण नारायण.. नारायण नारायण नारायण... नारायण नारायण नारायण....
 
नित्यलीलालीन श्रद्देय भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार, भगवच्चर्चा, पुस्तक कोड  ८२० गीताप्रेस, गोरखपुर

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Ram