|| श्री हरी
||
आज की शुभ
तिथि – पंचांग
माघ
कृष्ण,द्वादशी,गुरूवार, वि० स० २०६९
१. ऐसे
करो, जैसे अफीमची अफीम के न मिलने पर अफीम का स्मरण करता है |
२. ऐसे
करो, जैसे मुकदमेबाज मुकद्दमे का स्मरण करता है |
३. ऐसे
करो, जैसे जुआरी जुए का स्मरण करता है |
४. ऐसे
करो, जैसे लोभी धन का स्मरण करता है |
५. ऐसे
करो, जैसे कमी कामिनी का स्मरण करता है |
६. ऐसे
करो, जैसे जैसे शिकारी शिकार का स्मरण करता है |
७. ऐसे
करो, जैसे निशानेबाज निशाने का स्मरण करता है |
८. ऐसे
करो, जैसे किसान पके खेत का करता है |
९. ऐसे
करो, जैसे प्यास से व्याकुल मनुष्य जल का स्मरण करता है |
१०. ऐसे
करो, जैसे भूख से सताया हुआ मनुष्य भोजन का स्मरण करता है |
११. ऐसे
करो, जैसे घर भुला हुआ मनुष्य घर का स्मरण करता है |
१२. ऐसे
करो, जैसे थका हुआ मनुष्य विश्रामका स्मरण करता है |
१३. ऐसे
करो, जैसे भय से कातर मनुष्य शरण देने वाले का स्मरण करता है |
१४. ऐसे
करो, जैसे डूबता हुआ मनुष्य जीवन रक्षा का स्मरण करता है |
१५. ऐसे
करो, जैसे दम घुटने पर मनुष्य वायु का स्मरण करता है |
१६. ऐसे
करो, जैसे परीक्षार्थी परीक्षा के विषय का स्मरण करता है |
१७. ऐसे
करो, जैसे ताजे पुत्रवियोग से पीड़ित माता पुत्र का स्मरण करती है |
१८. ऐसे
करो, जैसे नवीन विधवा अबला अपने मृत पति का स्मरण करती है |
शेषअगले ब्लॉग
में...
नारायण नारायण
नारायण.. नारायण नारायण नारायण... नारायण नारायण
नारायण....
नित्यलीलालीन श्रधेय भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी
पोद्दार, भगवत्चर्चा, पुस्तक कोड ८२०
गीताप्रेस, गोरखपुर
0 comments :
Post a Comment