Saturday, 13 April 2013

भगवती शक्ति -13-


|| श्रीहरिः ||

आज की शुभतिथि-पंचांग

चैत्र शुक्ल, तृतीया, शनिवार, वि० स० २०७०

किसी का बुरा न चाहों

 गत ब्लॉग से आगे...राग-द्वेष पूर्वक किसी का बुरा करने के लिए माँ की आराधना कभी मत करों | याद रखो, माँ तुम्हारे कहने से अपनी संतान का बुरा नहीं कर सकती | जो दुसरे का बुरा चाहेगा, उसकी अपनी बुराई होगी | स्त्री-वशीकरण, मारण, मोहन, उच्चाटन आदि के लिए उनको मत पूजों; उन्हें पूजों दैवी गुणों की उत्पति के लिए, सबकी भलाई के लिए अथवा मोक्ष के लिए |

केवल माँ को ही चाहों

सच तो यह है, परमात्मरूपिणी माँकी उपासना करके उनसे कुछ भी मत माँगो | ऐसी दयामयी सर्वेश्वरी जननी से जो कुछ भी तुम मांगोगे, उसी में ठगे जाओगे | तुम्हारा वास्तविक कल्याण किस बात में है इस बात को तुम नहीं समझते, माँ समझती है | तुम्हारी दृष्टी बहुत ही छोटी सीमा  में आबद्ध है | माँ की दूर-दृष्टी ही नहीं है , वह ईश्वरी माता, वह श्रीकृष्ण और श्रीराम रूपा माता, वह दुर्गा, सीता, उमा, राधा, काली, तारा सर्वग्य है | तुम्हारे लिए जो भविष्य है, उनके लिए सभी वर्तमान है | फिर उनका ह्रदय दया का अनन्त समुद्र है | वह दयामयी माता तुम्हारे लिए को कुछ मंगलमय होगा, कल्याणकारी होगा, उसी का विधान करेगी, स्वयं सोचेंगी और करेंगीं, तुम तो बस, निश्चिन्त  और निर्भय होकर अबोध शिशु की भाँती उनका पवित्र आँचल पकडे उनके वात्सल्य भरे मुख की और ताकते रहो | डरना नहीं, काली, तारा तुम्हारे लिए भयावनी नहीं हैं, वह भयदायिनी राक्षसों के लिए है |... शेष अगले ब्लॉग में....       

श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवतचर्चा पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!
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Ram