|| श्रीहरिः ||
आज की शुभतिथि-पंचांग
वैशाख शुक्ल, सप्तमी, शुक्रवार, वि० स० २०७०
१.रोज प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठो | उठते ही भगवान को
प्रणाम करो, फिर हाथ-मुहँ धोकर उषापान करो | ठन्डे जल से आँख धोओं |
२.पेशाब-पखाने की हाजतको कभीन रोको |पेट में मल जमा न
होने दो |
३.रोज दतुअन करो;भोजन करके हाथ, मुहँ, दाँत अवशय धोओ |
४.प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करके सूर्य को अर्घ्य दो |
५.दोनो समय (प्रात: और संध्या) नियमपूर्वक श्रद्धा के साथ भगवतप्रार्थना
या संध्या करो |
६.हो सके तो प्रात:काल शुद्ध वायु का सेवन जरुर करों |
७.भूख से अधिक न खाओ, जीभ के स्वाद के वश में न होओ; पवित्रता
से बना हुआ-पवित्र कमाई का अन्न खाओ, किसी का भी जूठा न खाओ, न किसी को अपना जूठ
खिलाओं, मॉस-मद्य का सेवन कभी न करो |
८.भोजन के समय जल न पियों, या बहुत थोडा पिओ |
९.पान, तम्बाकू, सिगरेट, बीडी, चाय, काफी, भांग, अफीम,
गाँजा, चरस, ताश, चौपड़, शतरंज आदि का व्यसन न डालो; दवा अधिक सेवन न करो | पथ्य,
परहेज, संयम, युक्ताहार-विहार का अधिक ध्यान रखों |
१०.दिन में न सोओ, रात में अधिक न जागों, छ: घन्टे से अधिक
न सोओ | ......शेष अगले ब्लॉग में.
—श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवतचर्चा पुस्तक
से, गीताप्रेस गोरखपुर, उत्तरप्रदेश , भारत
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!
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