Monday, 12 August 2013

भगवान शिव-९-


|| श्रीहरिः ||

आज की शुभतिथि-पंचांग

श्रावण शुक्ल, षष्ठी, सोमवार, वि० स० २०७०

शिव तामसी देवता नहीं हैं

 गत ब्लॉग से आगे... इनके अतिरिक्त कुछ लोग भगवान् शिव को तामसी देव मानकर उनकी उपासना करने में दोष समझते है | वास्तव में यह उनका भ्रम है, जो बाह्य दृष्टी वाले साम्प्रदायिक आग्रही मनुष्यों का  पैदा किया हुआ हैं | जिन भगवान शिव का गुणगान वेदों, उपनिषदों और वैष्णव कहे जाने वाले पुराणों में भी गया गया है, उन्हें तामसी बतलाना अपने तमोगुणी होने का परिचय देना है |

परात्पर महाशिव तो सर्वथा गुणातीत है, वहाँ तो गुणों की क्रिया ही नहीं है | जिस गुणातीत, नित्य, दिव्य, साकार चैतन्य रसविग्रह स्वरुप में क्रिया है, उसमे भी गुणों का खेल नहीं है | भगवान की दिव्य प्रकृति ही वहाँ क्रिया करती है और जिन त्रिदेव-मूर्तियों में सत्व, रज और तम की लीलायें होती है, उनमे भी उनका स्वरुप गुणों की क्रिया के अनुसार नहीं है | भिन्न-भिन्न क्रियाओं के कारण सत्व-रज, तम का आरोप है | वस्तुत: ये तीनों दिव्य चेतन-विग्रह भी गुणातीत ही है | शेष अगले ब्लॉग में... 

  श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवतचर्चा पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर, उत्तरप्रदेश , भारत  

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!    
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Ram