|| श्रीहरिः ||
आज की शुभतिथि-पंचांग
श्रावण शुक्ल, नवमी, गुरूवार, वि०
स० २०७०
शिव मोक्षदाता हैं
गत ब्लॉग से
आगे..भगवान् भोलेनाथ विषय मागने-वाले को विषय और मोक्ष मांगने वाले को मोक्ष दे
देते है और प्रेम का भिखारी उनके प्रेम को प्राप्तकर धन्य होता है | वे कल्पवृक्ष
है | मुहँमाँगा वरदान देने वाले है | यदि उपासक ने उनसे विषय माँगा तो वे विषय दे
देंगे, परन्तु विषय उनके लिए विष का कार्य करेगा और अंत में दुःखदाई होगा | कामना
से घिरे हुए विषयपरायण मूढ़ पुरुष ही असुर है | ऐसे असुरों के अनेकों द्रष्टान्त
प्राप्त होते है, जिन्होंने भगवान शिवजी की उपासना करके उनसे विषय मांग लिए और
यतार्थ लाभ से वन्चित रह गए | अतएव भगवान शिव के उपासक को जगत के विषय की आसक्ति
छोड़कर यथार्थ वैराग्यसंपन्न होकर परमवस्तु की चाहना करनी चाहिये, जिससे यथार्थ
कल्याण हो |
याद रखना चाहिये की शिव स्वयं कल्याणस्वरुप ही है, इससे
उनकी उपासना से उपासक का कल्याण बहुत शीघ्र हो जाता है | केवल विश्वाश करके लग
जाने मात्र की देर है | भगवान के दुसरे स्वरुप बहुत छान-बीन के अनन्तर फल देते है,
परन्तु औढरदानी शिव तत्काल फल दे देते है | शेष अगले ब्लॉग में...
—श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवतचर्चा पुस्तक
से, गीताप्रेस गोरखपुर, उत्तरप्रदेश , भारत
नारायण ! नारायण !! नारायण
!!! नारायण !!! नारायण !!!
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