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श्रीहरिः ||
आज की शुभतिथि-पंचांग
श्रावण कृष्ण, एकादशी, शुक्रवार,
वि० स० २०७०
गत ब्लॉग से आगे..भगवान या अपने इष्टदेव को अर्पण करके खाओं
| जो भगवान को निवेदन न करके खाता है, वह गन्दी चीज खाता है |
झूठन मत छोड़ो | बिना भूख लगे मत खाओं, जितना आसानी से पचा
सकों उतना ही खाओं |
तुम्हारा खाना जिसको भार मालूम होता हो, उसके घर न खाओं |
तुम्हारे खाने से जिसके भोजन में कमी आ जाती है, उसके यहाँ भी माँ खाओं |
भोजन करने से पहले अन्न को प्रणाम करों, भोजन के समय ध्यान
करों की यह पवित्र भोजन मुझकों पवित्र करेगा, बल देगा, ओज देगा और भगवान की भक्ति
देगा | और प्रत्येक ग्रास भगवान का स्मरण करके मुहँ में लों |
भोजन को अन्तर्यामी भगवान की तृप्ति के लिए करों, यज्ञ की
भावना से करों-जीभ के स्वाद या अपनी तृप्ति के लिए नहीं |
बहुत मसाले, खट्टी, चटपटी, बहुत मिठाई आदि न खाओं |
सबको बाट कर खाओं, चुराकर न खाओं | शेष अगले ब्लॉग में...
—श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवतचर्चा पुस्तक
से, गीताप्रेस गोरखपुर, उत्तरप्रदेश , भारत
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!
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