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श्रीहरिः ||
आज की शुभतिथि-पंचांग
श्रावण कृष्ण, द्वादशी, शनिवार, वि० स० २०७०
गत ब्लॉग से आगे....पक्तिं में भेद न करों, अपने लिए बढ़िया
लेकर दूसरों को घटिया चीज मत दो |
रोज स्नान, संध्या, तर्पण, श्राद्ध और बलिवैश्वदेवआदि करने
के बाद भोजन करों |
भोजन के समय मौन रहों |
ताब़े के बर्तन में दूध न पीओं, जूंठे बर्तन में घी लेकर न
खाओं और दूध के साथ कभी नमक न खाओं |
भोजन खूब चबाकर करों, बहुत जल्दी-जल्दी न खाओं |
पूर्व की और मुख करके भोजन करों, पश्चिम और दक्षिण की और
मुख करके भोजन करना भी बुरा नहीं है | जिसके माता-पिता जीवित हो वह दक्षिण की और
मुख करके भोजन न करे | उत्तर की और मुह करके भोजन नहीं करना चाहिये |
दोनों हाथ, दोनों पैर और मुहँ को पहले खूब धोकर भोजन करों |
भोजन के बाद हाथ-मुहँ धोना, कुल्ला करके मुहँ साफ़ करना, दांतों में लगे हुए अन्न
को निकाल कर फिर मुहँ धोना चाहिये | भोजन के बाद मुहँ साफ़ करने के लिए पान खाना
बुरा नहीं है |
एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा आदि के दिन उपवास करों |
—श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवतचर्चा पुस्तक
से, गीताप्रेस गोरखपुर, उत्तरप्रदेश , भारत
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!
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