Tuesday, 8 October 2013

भगवती शक्ति -18-


|| श्रीहरिः ||

आज की शुभतिथि-पंचांग

आश्विन शुक्ल, चतुर्थी, मंगलवार, वि० स० २०७०

मान बड़ाई में मत फँसो

गत ब्लॉग से आगे......   पद-प्रतिष्ठा और मान-बड़ाई तो बहुत ही हानिकर है | जो मान-बड़ाई के मोह में फस गया उसके धर्म, कर्म, साधना, पुरुषार्थ ‘सब भांग के भाड़े में’ चले गये | उसने मानो परमधन परमात्म-प्रेम को विषपूर्वक स्वर्णकलशरूप  मान-बड़ाई के बदले में खो दिया | अतएव रूप, धन, पद, प्रतिष्ठा, मान-बड़ाई आदि के लिए चिन्तित न होओं और न इनकी प्राप्ति चाहों | ये परमार्थ का साधन नष्ट करने वाले महानदुःखदाई और नरकप्रद है |

माँ की उपासना करके उसके बदले में  तो इन्हें कभी मागों ही मत | अमृत के बदले जहर पीने के समान ऐसी मूर्खता कभी न करों | माँ से मांगों सच्चा प्रेम, माँ का वात्सल्य, माँ की कृपा, माँ का नित्य-आश्रय और माँ की सुखमयी गोद ! माँ से माँगकर वैराग्यशक्ति ले लों और विषयशक्ति रूप वैरी को मार भगाओ |

याद रखो, वैराग्य शक्ति में अदभुत सामर्थ्य है | जिन विषयों के प्रलोभन में बड़े-बड़े धीर-वीर और विद्वान पुरुष फँस जाते है, वैराग्यवान पुरुष उस और ताकता भी नहीं |  

सदाचार शक्ति को बढाओ

इसी प्रकार सदाचार-शक्ति और दैवीसम्पद-शक्ति को बढाओ | जिसकी सदाचार और दैवीसम्पद-शक्ति जितनी बढ़ी हुई होगी, वह उतना ही अधिक परमात्मरूपा माँ का प्रिय-पात्र होगा और उतना ही अधिक शीघ्र माँ के दर्शन का अधिकारी होगा |

स्मरण रखो ! माँ के विभिन्न रूप केवल कल्पना नहीं है, सत्य है और तुम्हे माँ की कृपा से उनके साक्षात् दर्शन हो सकते है |..... शेष अगले ब्लॉग में.     

श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवतचर्चा पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!
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Ram