Wednesday, 9 October 2013

भगवती शक्ति -19-


|| श्रीहरिः ||

आज की शुभतिथि-पंचांग

आश्विन शुक्ल, पन्चमी, बुधवार, वि० स० २०७०

भगवान को बाँधने की डोरी

गत ब्लॉग से आगे......   माँ के दर्शन का सर्वोत्तम उपाय है-दर्शन के लिए व्याकुल होना | जैसे छोटा बच्चा जब किसी वस्तु में न भूलकर एकमात्र माँ के लिए व्याकुल होकर रोने लगता है, केवल माँ-माँ पुकारता है और किसी बात को सुनना ही नहीं चाहता तब माँ दौड़ी आती है और उसके आसूँ  पूछकर उसे तुरन्त अपनी गोद में छिपाकर मुहँ चूमने लगती है | इसी प्रकार वे परमात्मरुपी जगजननी माँ काली या माँ श्रीकृष्ण भी तुम्हारा रोना सुनकर-पुकार सुनकर तुम्हारे पास आये बिना नहीं रहेंगे, अतएव उत्कंठित ह्रदय से व्याकुल होकर रोओ-अपने करुणक्रन्दन से करुणामयी माँ के ह्रदय को हिला दो-पिघला दो |

राम, कृष्ण, हरी, शंकर, दुर्गा, काली, तारा, राधा, सीता आदि नामों की निर्मल और उच्ची पुकार से आकाश को गूंजा दो | भगवती माँ तुम्हे जरुर दर्शन देगी | करुणापूर्ण नामकीर्तन माँ को बुलाने का परम साधन है | समस्त मन्त्रों में यह नाममन्त्र मन्त्रराज है और इससमे कोई विधि-निषेध नहीं है, कोई भय नहीं है |

हम सरीखे बच्चों के लिए तो उस सच्चिदानन्दमयी भगवानरुपी माँ को बाँध रखने की, बस, यही एक मजबूत और कोमल रेशम डोरी है |

माँ के उपदेश पर ध्यान दो

माँ के उपदेशों पर ध्यान दो | उनके सारे उपदेश तुमारी भलाई के लिए है | देवीभागवत में ऐसे बहुत-से उपदेश है | भगवती गीता ऐसे उपदेशों का सुन्दर संग्रह है | और न हो तो, माँ के ही श्रीकृष्णरूप से उपदिष्ट भगवतगीता को माँ के उपदेशों का खजाना समझो-उसी को आदर्श बनाओं, पथ-दर्शक बनाओं, उसी के उज्जवल प्रकाश के सहारे माँ का आश्रय लिए हुए, माँ के नामों का रटन करते हुए माँ को पुकारों-माँ की सेवा करों | गीताशक्ति में भगवती की सारी शक्ति निहित है |..... शेष अगले ब्लॉग में.     

श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवतचर्चा पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!
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Ram