|| श्रीहरिः ||
आज की शुभतिथि-पंचांग
आश्विन शुक्ल, अष्टमी, शनिवार, वि० स० २०७०
नर-नारी सभी भगवान के रूप है
गत ब्लॉग से आगे...... तुम नर हो या नारी हो-भगवान या
भगवती के रूप में हों | नारी नर का अपमान न करे और नर कभी नारी का आपमान न करे |
दोनों को शुद्ध प्रेम भाव से एक-दुसरे की यथार्थ उन्नति और सुख साधना में लगे रहना
चाहिये | इसी में दोनों का कल्याण है | जगत की सारी नारियों में देवी भगवती की
भावना करों | समस्त स्त्रियों को माँ की साक्षात् मूर्ती समझ कर उनका आदर करों,
उन्हें सुख पहुचाओं, उन्हें भोगी पदार्थ न समझ कर माँ दुर्गा समझों | किसी भी नारी
को कभी मत सताओं | शास्त्रों में कुमारी-पूजा का बड़ा महात्मय लिखा है | लड़की को
लड़के के समान ही बड़े आदर से पालो, घर में उसका भी स्वत्व समझों, उसे कभी दुत्कारों
मत,उसका अपमान न करों|
माँ दुर्गा का आपमान
विलास सामग्री का सब्जबाग़ दिखलाकर नारी को विलासमयी बनाना, भोग की और
प्रवर्त करना और पवित्र सती-धर्म से च्युत करना भी उसका अपमान ही है | नारी का
अपमान माँ-दुर्गा का अपमान है | इससे सदा सावधान रहों |..... शेष अगले ब्लॉग
में.
—श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवतचर्चा पुस्तक
से, गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!
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