Saturday, 12 October 2013

भगवती शक्ति -22-


|| श्रीहरिः ||

आज की शुभतिथि-पंचांग

आश्विन शुक्ल, अष्टमी, शनिवार, वि० स० २०७०

नर-नारी सभी भगवान के रूप है

गत ब्लॉग से आगे...... तुम नर हो या नारी हो-भगवान या भगवती के रूप में हों | नारी नर का अपमान न करे और नर कभी नारी का आपमान न करे | दोनों को शुद्ध प्रेम भाव से एक-दुसरे की यथार्थ उन्नति और सुख साधना में लगे रहना चाहिये | इसी में दोनों का कल्याण है | जगत की सारी नारियों में देवी भगवती की भावना करों | समस्त स्त्रियों को माँ की साक्षात् मूर्ती समझ कर उनका आदर करों, उन्हें सुख पहुचाओं, उन्हें भोगी पदार्थ न समझ कर माँ दुर्गा समझों | किसी भी नारी को कभी मत सताओं | शास्त्रों में कुमारी-पूजा का बड़ा महात्मय लिखा है | लड़की को लड़के के समान ही बड़े आदर से पालो, घर में उसका भी स्वत्व समझों, उसे कभी दुत्कारों मत,उसका अपमान न करों|

माँ दुर्गा का आपमान

विलास सामग्री का सब्जबाग़  दिखलाकर नारी को विलासमयी बनाना, भोग की और प्रवर्त करना और पवित्र सती-धर्म से च्युत करना भी उसका अपमान ही है | नारी का अपमान माँ-दुर्गा का अपमान है | इससे सदा सावधान रहों |..... शेष अगले ब्लॉग में.     

श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवतचर्चा पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!

 
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Ram