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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
पौष शुक्ल, प्रतिपदा, गुरूवार, वि० स० २०७०
भगवान का स्मरण कैसे
करें ? -1-
१. ऐसे करो, जैसे अफीमची अफीम के न
मिलने पर अफीम का स्मरण करता है ।
२. ऐसे करो, जैसे मुकदमेबाज मुकद्दमे का स्मरण करता है ।
३. ऐसे करो, जैसे जुआरी जुए का स्मरण करता है ।
४. ऐसे करो, जैसे लोभी धन का स्मरण करता है ।
५. ऐसे करो, जैसे कमी कामिनी का स्मरण करता है ।
६. ऐसे करो, जैसे जैसे शिकारी शिकार का स्मरण करता है ।
७. ऐसे करो, जैसे निशानेबाज निशाने का स्मरण करता है ।
८. ऐसे करो, जैसे किसान पके खेत का करता है ।
९. ऐसे करो, जैसे प्यास से व्याकुल मनुष्य जल का स्मरण करता
है ।
१०. ऐसे करो, जैसे भूख से सताया हुआ मनुष्य भोजन का स्मरण
करता है ।
११. ऐसे करो, जैसे घर भुला हुआ मनुष्य घर का स्मरण करता है ।
१२. ऐसे करो, जैसे थका हुआ मनुष्य विश्रामका स्मरण करता है ।
१३. ऐसे करो, जैसे भय से कातर मनुष्य शरण देने वाले का
स्मरण करता है ।
१४. ऐसे करो,जैसे डूबता हुआ मनुष्य जीवन रक्षा का स्मरण
करता है ।
१५. ऐसे करो, जैसे दम घुटने पर मनुष्य वायु का स्मरण करता
है ।
१६. ऐसे करो, जैसे परीक्षार्थी परीक्षा के विषय का स्मरण
करता है ।
१७. ऐसे करो, जैसे ताजे पुत्रवियोग से पीड़ित माता पुत्र का
स्मरण करती है ।
१८. ऐसे करो, जैसे नवीन विधवा अबला अपने मृत पति का स्मरण
करती है ।..शेष अगले ब्लॉग
में...
- श्रधेय
भाईजी
श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार, भगवत्चर्चा,
पुस्तक कोड ८२० गीताप्रेस, गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!
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