Friday, 3 January 2014

भगवान का स्मरण कैसे करें ? -2-


।। श्रीहरिः ।।

आज की शुभतिथि-पंचांग

पौष शुक्ल, द्वितीया, शुक्रवार, वि० स० २०७०
 

भगवान का स्मरण कैसे करें ?  -2-

 

१९.ऐसे करो,जैसे घर में रहने वाली कुलटा स्त्री अपने जार का  स्मरण करती है ।

२०. ऐसे करो, जैसे मातृपरायण शिशु माता का  स्मरण करता है ।

२१. ऐसे करो, जैसे प्रेमी अपने प्रेमास्पद का  स्मरण करता है ।

२२. ऐसे करो, जैसे पतिव्रता स्त्री अपने पति का स्मरण करती है ।

२३. ऐसे करो, जैसे अन्धकार से अकुलाये हुए प्राणी प्रकाश का  स्मरण करते है ।

२४. ऐसे करो,जैसे सर्दी से कापते हुए मनुष्य अग्नि का स्मरण करते  है ।

२५. ऐसे करो, जैसे चकवा-चकवी सूर्य का  स्मरण करते है ।

२६. ऐसे करो, जैसे चातक मेघ का स्मरण करता है ।

२७. ऐसे करो, जैसे जल से बिछुड़ी हुई मछली स्मरण करती है ।

२८. ऐसे करो, जैसे चकोर चन्द्रमा स्मरण करता है ।

२९. ऐसे करो, जैसे फलकामी पुरुष फल का  स्मरण करता है ।

३०. ऐसे करो, जैसे मुमुक्षु पुरुष आत्मा का  स्मरण करता है ।

३१. ऐसे करो, जैसे शुद्ध ह्रदय मुमुक्षु पुरुष भगवान का स्मरण करता है ।

३२. ऐसे करो, जैसे योगी पुरुष चेतन ज्योति का स्मरण करते है ।

३३. ऐसे करो, जैसे ब्रह्म निष्ठ ब्रह्म का स्मरण करता है ।
 

 - श्रधेय भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार, भगवत्चर्चा, पुस्तक कोड  ८२० गीताप्रेस, गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!
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Ram