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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
पौष शुक्ल, द्वितीया, शुक्रवार, वि० स० २०७०
भगवान का स्मरण कैसे
करें ? -2-
१९.ऐसे करो,जैसे घर में रहने वाली कुलटा स्त्री अपने जार का
स्मरण करती है ।
२०. ऐसे करो, जैसे मातृपरायण शिशु माता का स्मरण करता है ।
२१. ऐसे करो, जैसे प्रेमी अपने प्रेमास्पद का स्मरण करता है ।
२२. ऐसे करो, जैसे पतिव्रता स्त्री अपने पति का स्मरण करती है
।
२३. ऐसे करो, जैसे अन्धकार से अकुलाये हुए प्राणी प्रकाश का
स्मरण करते है ।
२४. ऐसे करो,जैसे सर्दी से कापते हुए मनुष्य अग्नि का स्मरण
करते है ।
२५. ऐसे करो, जैसे चकवा-चकवी सूर्य का स्मरण करते है ।
२६. ऐसे करो, जैसे चातक मेघ का स्मरण करता है ।
२७. ऐसे करो, जैसे जल से बिछुड़ी हुई मछली स्मरण करती है ।
२८. ऐसे करो, जैसे चकोर चन्द्रमा स्मरण करता है ।
२९. ऐसे करो, जैसे फलकामी पुरुष फल का स्मरण करता है ।
३०. ऐसे करो, जैसे मुमुक्षु पुरुष आत्मा का स्मरण करता है ।
३१. ऐसे करो, जैसे शुद्ध ह्रदय मुमुक्षु पुरुष भगवान का स्मरण
करता है ।
३२. ऐसे करो, जैसे योगी पुरुष चेतन ज्योति का स्मरण करते है
।
३३. ऐसे करो, जैसे ब्रह्म निष्ठ ब्रह्म का स्मरण करता है ।
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!
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