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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
फाल्गुन शुक्ल, द्वितीया, सोमवार,
वि० स० २०७०
सदाचार -३-
गत ब्लॉग
से आगे..... मॉस त्यागी पुरुष का कोई-सा भी
मॉस कभी नही खाना चाहिये और ऐसे हिंसायुक्त कोई भी कर्म नही करने चाहिये । अपने
देश या प्रदेश में कहीं भी अपने स्थान पर आये हुए अतिथि को भूखा नही रहने देना
चाहिये ।
जीविका के लिए उपार्जन किया हुआ हर-एक प्रकार का द्रव्य पिता आदि बडो को
समर्पण कर देना चाहिये ।
गुरुजन जब अपने पास आवे उन्हें उत्तम आसन देकर पुजादी
द्वारा उनका यथायोग्य सत्कार करना चाहिये । ऐसा आचरण करने वाला पुरुष दीर्घायु,
यशस्वी और लक्ष्मीवांन होते है । उदय हुए सूर्य को और नंगी पर-स्त्री को किसी भी
काल में नही देखना चाहिये ।
अपनी स्त्री से भी केवल ऋतुकाल में एकान्त में समागम
करना चाहिये । इसके सिवा न तो अपनी नग्न स्त्री को देखना चाहिये और न उसके साथ एक
शय्या पर सोना चाहिये और न स्त्री के साथ एक थाली में भोजन ही करना चाहिये ।.... शेष अगले ब्लॉग में ।
—श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवच्चर्चा पुस्तक
से, गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!
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