Thursday, 6 March 2014

श्यामा-श्याम युगल चरणोंमें करुण प्रार्थना है यह आज।


।। श्रीहरिः ।।

आज की शुभतिथि-पंचांग

फाल्गुन शुक्ल, पंचमी, गुरूवार, वि० स० २०७०


श्यामा-श्याम युगल चरणोंमें करुण प्रार्थना है यह आज।

(राग भीमपलासी-ताल कहरवा)
 

                       श्यामा-श्याम युगल चरणोंमें करुण प्रार्थना है यह आज ।

सुनो दयामयि ! करुणामय हे ! महाभावरूपा ! रसराज !॥

गोकुलचन्द्र, गोपिकावल्लभ, राधाप्रिय, हे आनँदकन्द !।

दिव्यरसामृत-सरिता जिनके रस-लोलुप सत्‌‌-चित्‌‌-‌आनन्द॥

मंगलमय यश सुनूँ तुम्हारा, करूँ नाम-यश-गुण नित गान।

उभय पाद-पद्मोंकी सेवा करूँ नित्य तज सब अभिमान॥

कृष्णप्रिया-शिरोमणि रसमयि ! रसमय प्रभु ! हे श्यामा-श्याम !।

रहै बरसती कृपा तुम्हारी नित्य अधम जनपर अविराम॥

रखो सदा शरणमें ही निज इस पामरको विरद विचार।

जर्जर देह-प्राण-मन अब तो रहें न पलभर तुम्हें बिसार॥

 श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, पदरत्नाकर पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!
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Ram