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श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
फाल्गुन शुक्ल, अष्टमी, रविवार, वि० स० २०७०
एक लालसा -३-
गत ब्लॉग से आगे...... बहुजन्म व्यापी तपस्या और
श्रीभगवान् की उपासना के प्रभाव से हृदय के सारे पाप नष्ट होने से भगवान् की
प्राप्ति के लिए तीव्र इच्छा उत्पन्न होती है । तीव्र इच्छा उत्पन्न होने पर
मनुष्य को इसी जन्म में भगवान् की प्राप्ति हो जाती है । इस तीव्र शुभेच्छा के उदय
होने पर उसे दूसरी कोई भी बात नही सुहाती, जिस उपाय से उसे अपने प्यारे का मिलन
संभव दीखता है, वह लोक-परलोक किसी की कुछ भी परवा न कर उसी उपाय में लग जाता है ।
प्रिय मिलन की उत्कण्ठा उसे उन्मत बना देती है । प्रिय की प्राप्ति के लिए वह
तन-मन-धन-धर्म-कर्म सभी को उत्सर्ग करने को प्रस्तुत रहता है । ..शेष अगले ब्लॉग में ।
—श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवच्चर्चा पुस्तक
से, गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!
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