Sunday, 26 November 2017

पदरत्नाकर

[ ४ ]
राग केदारताल कहरवा

दुर्लभ परम त्यागमय पावन प्रेम-मूर्ती आदर्श महान।
महाभावरूपा श्रीराधा, जिनके प्रेमवश्य भगवान॥
नहीं तनिक भी स्व-सुख-वासना, नहीं मोह-माया-मद-मान।
प्रियतम-पद-पूर्णार्पित जीवन, जगके सारे द्वन्द्व समान॥
मुक्ति-बन्ध वैराग्य-भोगके ग्रहण-त्यागका कभी न ध्यान।
प्रियतम-सुख ही सब कार्योंमें करता नित्य प्रेरणा-दान॥
प्रेममयी शुचितम श्रीराधाके पद-रज-कण रसकी खान।
वे स्वीकार करें इस जन नगण्यके नमस्कार निर्मान॥



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Ram