Tuesday, 26 December 2017

पदरत्नाकर

[ ६७ ]
राग जौनपुरीतीन ताल

सबमें सब देखें निज आत्मा, सबमें सब देखें भगवान।
सब ही सबका सुख-हित देखें, सबका सब, चाहें कल्यान॥
एक दूसरेके हितमें सब करें परस्पर निज-हित-त्याग।
रक्षा करें पराधिकारकी, छोड़ें स्वाधिकारकी माँग॥
निकल संकुचित सीमासे स्वकरे विश्वमें निज विस्तार।
अखिल विश्वके हितमें ही हो स्वार्थशब्दका शुभ संचार॥
द्वेष-वैर-हिंसा विनष्टहों, मिटें सभी मिथ्या अभिमान।
त्याग-भूमिपर शुद्ध प्रेमका करें सभी आदान-प्रदान॥
आधि-व्याधिसे सभी मुक्त हों, पायें सभी परम सुख-शान्ति।
भगवद्भाव उदय हो सबमें, मिटे भोग-सुखकी विभ्रान्ति॥
परम दयामय!   परम प्रेममय!   यही प्रार्थना बारंबार।

पायें सभी तुम्हारा दुर्लभ चरणाश्रय, हे परम उदार!  ॥

-नित्यलीलालीन भाईजी श्रीहनुमान प्रसादजी पोद्दार 


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Ram