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राग भीमपलासी—ताल कहरवा
श्यामा-श्याम युगल चरणोंमें करुण
प्रार्थना है यह आज।
सुनो दयामयि! करुणामय
हे! महाभावरूपा!
रसराज! ॥
गोकुलचन्द्र, गोपिकावल्लभ, राधाप्रिय, हे
आनँदकन्द! ।
दिव्यरसामृत-सरिता जिनके रस-लोलुप सत्-चित्-आनन्द॥
मङ्गलमय यश सुनूँ तुम्हारा, करूँ नाम-यश-गुण नित गान।
उभय पाद-पद्मोंकी सेवा करूँ नित्य तज
सब अभिमान॥
कृष्णप्रिया-शिरोमणि रसमयि! रसमय प्रभु! हे श्यामा-श्याम! ।
रहै बरसती कृपा तुम्हारी नित्य अधम
जनपर अविराम॥
रक्खो सदा शरणमें ही निज इस पामरको
विरद विचार।
जर्जर
देह-प्राण-मन अब तो रहें न पलभर तुम्हें बिसार॥Download Android App - पदरत्नाकर
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