Friday, 12 January 2018

पदरत्नाकर

[ ८१ ]
राग आसावरीतीन ताल

जला दो उर मेरे विरहानल।
प्रियतम!  बिना तुम्हारे, बीते दुखमय युग-सम मेरा पल-पल॥
भोगासक्ति-कामना-ममता जग-ज्वालाएँ सब जायें जल।
मिट जाये सब दु:खयोनि आद्यन्तवन्त भोगोंका अरि-दल॥
जाग उठे दैवी गुण, हो वैराग्य-राग-रञ्जित अन्तस्तल।

मिलन तुम्हारा हो, मिल जाये मानव-जीवनका यथार्थ फल॥


-नित्यलीलालीन भाईजी श्रीहनुमान प्रसादजी पोद्दार 


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Ram