प्रेमी भक्त उद्धव :......गत ब्लॉग से आगे...
क्रमशः उद्धव आठ बरसके हुए! यज्ञोपवीत-संसकार हुआ! विद्याध्ययन करनेके लिये गुरुकुलमें गए! साधारण गुरुकुलमें नहीं, देवताओंके गुरुकुलमें, देवताओंके पुरोहित आचार्य बृहस्पतिके पास! सम्पूर्ण विद्याओंका रहस्य प्राप्त करते इन्हें विलम्ब नहीं हुआ! सम्पूर्ण विद्याओंका रहस्य है -- भगवान् से प्रेम! वह इन्हें प्राप्त था ही! अब उसको समझनेमें क्या विलम्ब होता! वास्तवमें जिनकी बुद्धि सुद्ध है;जपसे,तपसे,भजनसे जिन्होंने अपने मस्तिष्क को साफ़ कर लिया है, सभी बाते उनकी समझमें शीघ्र ही आ जाती हैं! यह देखा गया है की सन्ध्या न करनेवालोंकी अपेक्षा सन्ध्या करनेवाले विद्यार्थी अधिक समझदार होते हैं! भगवान् सविता उनकी बुद्धि सुद्ध कर देते हैं! उद्धवमें भगवान् की भक्ति थी, साधना थी, वे बृहस्पतिसे बुद्धिसम्बन्धी सम्पूर्ण ज्ञातव्योंका ज्ञान प्राप्त करके उनकी अनुमतिसे मथुरा लौट आये!
मथुरामें उनका बड़ा ही सम्मान था! सब लोग उनके ज्ञानके, उनकी नीतिके और उनकी मन्त्रणाके कायल थे! यदुवंशियोंमें जब कोई काम करनेमें मतभेद होता, कोई उलझन सामने आ जाती, उनसे कोई समस्या हल न होती तो वे उद्धवके पास जाते और उद्धव बड़ी ही योग्यताके साथ उलझनोंको सुलझा देते, सारी समस्याको हल कर देते! सब उनकी बुद्धिपर, उनके शास्त्रज्ञानपर लट्टू थे, उनका पूरा विश्वास करते थे! और वे भी सबकी सेवा करते हुए, सबका हित करते हुए कंसकी दुर्नीतियोंसे लोगोंको बचाते हुए भगवान् के भजनमें तल्लीन रहते थे!
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