Sunday, 2 March 2014

सदाचार -२-


।। श्रीहरिः ।।

आज की शुभतिथि-पंचांग

फाल्गुन शुक्ल, प्रतिपदा, रविवार, वि० स० २०७०

सदाचार -२-

गत ब्लॉग से आगे.....कल्याण चाहने वाले पुरुष को मार्ग में आये हुए यज्ञशालादी, पवित्र स्थान, बैल देवता और गाय के बैठने के स्थान, चौरास्ते, ब्राह्मण, धर्मनिष्ठ मनुष्य और पवित्र वृक्षादी की प्रदक्षिणा करनी चाहिये और अतिथि, अपने नौकर और पौषय वर्ग के लिए भोजन में कदापि पंक्ति भेद न करने चाहिये (अर्थात अपने लिए अच्छा और इन सबको उससे हीन भोजन न देना चाहिये ) ।
 
मनुष्य को उचित है की प्रात:काल और सांयकाल दोनों समय सन्धिकाल में भोजन न करे । हवं के समय अग्नि में हवन करने वाला और केवल ऋतूकाल में ही स्त्री-समागम करने वाला पुरुष ब्रह्मचारी ही मानने योग्य है ।
 
ब्राह्मणों के भोजन के बाद अविशिष्ट-बचा हुआ भोजन माता के दूध के समान हितकारी होता है, इसलिए कल्याणकामी पुरुषों को ऐसा ही भोजन करना चाहिये । वृथा मिट्टी को खुरचने वाले, दाँतों से नख काटने वाले, तिनका तोड़ने वाले और सर्वथा हाथ झूठे रखने वाले की आयु कम हो जाती है ।.... शेष अगले ब्लॉग में          


श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवच्चर्चा पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!
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Ram