|| श्रीहरिः ||
आज की शुभतिथि-पंचांग
वैशाख शुक्ल, दशमी, सोमवार, वि० स० २०७०
गत ब्लॉग से आगे...२०. तकलीफ सहकर भी आमदनी से कम खर्च करो,
अधिक खर्च करने वालों या अमीरों को आदर्श न मानकर मितव्ययी पुरुषों और गरीबों की
और ध्यान दो | मितव्ययीपुरुष आमदनी में से कुछ बचा कर अपनी ताकत के अनुसार दुखियों
की सेवा कर सकता है, चाहे एक पैसे से ही हों ; खरी कमाई से बचे हुए एक पैसे के
द्वारा भी की हुई दींन सेवा बहुत महत्व की
होती है | मितव्ययी पुरुष के बचाये हुए पैसे उसके गाढे वक्त काम आते है | जो अधिक
खर्च करता है, उसकी आदत इतनी बिगड़ जाती है की वह बहुत अधिक आमंदनी होने पर भी एक
पैसा बचा कर दीनों की सेवा नहीं कर सकता | वह अपने खर्च से ही परेशान रहता है और
आमदनी न होने पर या कम होने की सूरत में उस पर कष्टों के पहाड़ टूट पड़ते है |
मितव्ययी और अच्छी आदतों वाले पुरुष ऐसी अवस्था में दुखी नहीं हुआ करते |
२१. नौकरों से
दुर्व्यवहार न करो, दुःख में उनकी सेवा-सहायता करों | उनका तिरस्कार-अपमान
कभी न करों | उनकी आवश्यकताओं का ख्याल रखों और अपनी परिस्थिती के अनुसार उन्हें
पूरा करने की चेष्टा करों |
२२. अपरिचित मनुष्य से दवा न लो, जादू-टोना किसी से न
करवाओं |
२३. नोट दूना बनाने वाले, आकंडा बताने वाले, सोना बनाने
वाले, सट्टा बतलाने वाले लोगों से सावधान रहों; ऐसा करने वालेलोग प्राय: ठग होते
है |
२४. किसी अनजाने को पेट की बात न कहों, जाने हुए भी सबसे न
कहों; परन्तु अपने सच्चे हितेषी बन्धु से छिपाओ भी नहीं |
२५. जहाँ भी रहों किसी वयोवृद्ध अनुभवी पुरुष को अपना
हितेषी जरुर बना लो | विपत्ति के समय उसकी सलाह बहुत काम देगी |
२६. प्रेम सबसे रखों, परन्तु बहुत जायदा सम्बन्ध स्थापित न
करो | अनावश्यक दावतों में न जाओं और न दावत देने की आदत डालो |
२७. जो कुछ काम करों, अच्छी तरह से करों | बिगाड़-कर जल्दी
और जायदा करने की अपेक्षा सुधारकर थोडा करना भी अच्छा है, परन्तु आलस्य-प्रमाद को
समीप न आने दो |
२८. जोश में आकर कोई काम न करों |
२९. किसी से विवाद या तर्क न करों, शास्त्रार्थ न करों |
अपने को सदा विद्यार्थी ही समझों | समझदारी का अभिमान न करों | सीखने की धुन रखों |
......शेष अगले ब्लॉग में.
—श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्दार भाईजी, भगवच्चर्चा पुस्तक
से, गीताप्रेस गोरखपुर, उत्तरप्रदेश , भारत
नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
नारायण !!! नारायण !!!
1 comments :
उपरोक्त सभी सूत्र ह्रदय में उतारने योग्य हैं. धन्यवाद् जय श्री कृष्ण
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