Tuesday, 21 May 2013

धारण करने योग्य ५१ बाते -४-


|| श्रीहरिः ||

आज की शुभतिथि-पंचांग

वैशाख शुक्ल, एकादशी, मंगलवार, वि० स० २०७०

 
गत ब्लॉग से आगे...३०. मीठा बोलो, ताना न मारों, कडवी जबान न कहों; बीच में न बोलो, बिना पूछे सलाह न दो; सच बोलो, अधिक न बोलो, बिलकुल मौन भी न रहों; हँसी-मजाक न करों; निंदा-चुगली न करों, न सुनों; गाली न दो, शाप-वरदान न दो |

३१. नम्र और विनयशील रहो, झूठी चापलूसी न करों, ऐठो नहीं, मान दो पर मान न चाहों |

३२. दुसरे के द्वारा अच्छा वर्ताव होने पर ही मैं उसके साथ अच्छा करूँगा, ऐसी कल्पना न करों | अपनी और से पहले से ही सबसे अच्छा वर्ताव करों, जो अपनी बुराई करे उसके साथ भी |

३३. गरीबों के साथ सहानुभूति रखों |

३४. किसी फार्ममें, संस्था में या किसी व्यक्ति के लिए काम करो-नौकरी करों तो पूरी वफादारी से करों | सदा तन-मन-वचन से उसका हित चिन्तन ही करते रहों |

३५. जहाँ रहों अपनी इमानदारी, वफादारी, होशियारी, कार्य-कुशलता, मीठे-वचन, परिश्रम और सच्चाई से अपनी जरूरत पैदा कर दो | अपना स्थान स्वयं बना लों |

३६. प्रत्यक्ष लाभ दीखने पर भी अनुचित लोभ न करों | अपनी इमानदारी को हर हालत में बचाये रखों | दुसरे का हक किसी तरह भी स्वीकार न करों | ईमान न बिगाड़ो |

३७. आचरणों को-चरित्र को सदा पवित्र बनाये रखने की कोशिश करों |

३८. बिना ही कारण मान-बड़ाई केलिए न तरसों | गरीबी से न डरों, बेईमानी और बुरी आदतों से अवश्य भय करों ......शेष अगले ब्लॉग में.    

श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्दार भाईजी, भगवच्चर्चा पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर, उत्तरप्रदेश , भारत  

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!!  
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Ram